Literature

रेल और जिन्दगी कब रुकती हैं
पड़ाव और ठहराव आते जाते हैं
कभी अच्छा कभी बुरा होता है
कोई मिलता है कोई बिछड़ता है

कभी गन्तव्य पर पहुंचते हैं
कभी अवसर छूट जाते हैं
कुछ समय साथ रहता है
कुछ  समय कोई पास रहता है

कभी पटरी पर गाड़ी होती है
कभी उतर भी जाती है
कभी लोग भा जाते हैं
कभी धाखा भी दे जाते हैं

किसी का साथ यादगार रहता है
किसी का दिवास्वप्न रह जाता है
किसी का जाना कभी खल जाता है
किसी का साथ कभी छल जाता है

 

कोई बिसर जाता है जल्दी
कोई न भुलाया जाता है जल्दी
कोई बदल जाता है जल्दी
कोई घुल मिल जाता है जल्दी

नहीं साथ कोई सदा के लिये
फिर बैर क्यों सदा के लिये
मिल बैठो प्यार से भगवान के लिये
जल जायेंगे जीवन में घी के दिये

अपने पड़ाव पर सबको उतर जाना है
फिर क्यों अपना अधिकार जमाना है
मिल जुल कर कट जाये सफर सुहाना है
कोई याद रखे बाद सफर तो सबका कट जाना है

S.K. Bhasin